Chandigarh में बढ़ता प्रदूषण, त्रिसिटी की हवा बनी सांसों के लिए मुश्किल, देश के टॉप-5 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल
Chandigarh में प्रदूषण ने हालात को गंभीर बना दिया है और शहर की हवा सांस लेना मुश्किल कर रही है। दिवाली से पहले और उसके बाद बढ़े प्रदूषण के कारण त्रिसिटी क्षेत्र, जिसमें चंडीगढ़, मोहाली और पंचकुला शामिल हैं, देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है। प्रदूषण के कारण लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। चंडीगढ़ के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है, जिससे प्रशासन भी अब बारिश का इंतजार कर रहा है, जो प्रदूषण से राहत दिला सकती है।
चंडीगढ़ की हवा में प्रदूषण:
रविवार से चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स में थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। AQI 340 तक पहुंच चुका है, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इस समय प्रदूषण का स्तर चंडीगढ़ के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में समान रूप से बढ़ा हुआ है। प्रदूषण के कारण मौसम भी प्रभावित हो रहा है, और हवा में प्रदूषण कणों की उच्चतम मात्रा मौजूद है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है।
प्रशासन का इंतजार: बारिश की आस:
स्थानीय प्रशासन अब बारिश का इंतजार कर रहा है, क्योंकि प्रदूषण को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका बारिश ही है। बारिश के बाद प्रदूषण के कण नीचे गिर सकते हैं और हवा में ताजगी आ सकती है। हालांकि, इस बीच शहरवासियों को प्रदूषण से राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवा में प्रदूषण अधिक है, जो चंडीगढ़ के प्रदूषण को और बढ़ा देता है। खास बात यह है कि इस बार पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं, फिर भी प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आई है।
चंडीगढ़ का प्रदूषण स्तर:
चंडीगढ़ को देश के पांच सबसे प्रदूषित शहरों में स्थान मिला है। दिल्ली के मुकाबले चंडीगढ़ का प्रदूषण थोड़ा कम जरूर है, लेकिन फिर भी AQI के 353 पर पहुंचने के बाद यह स्थिति गंभीर हो गई है। चंडीगढ़, दिल्ली, चुरू, मंडीदीप और झुंझुनू जैसे शहर अब ‘रेड जोन’ में शामिल हो गए हैं। इन शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि यह लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
वाहनों की संख्या और प्रदूषण:
चंडीगढ़ में वाहनों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। शहर में 12 लाख से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं, जो प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक हैं। वाहनों से निकलने वाले धुएं और अन्य प्रदूषण कणों के कारण हवा की गुणवत्ता बिगड़ रही है। इसके अलावा, सर्दी के मौसम में हवा की घनता भी बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषण के कण ऊपर की ओर फैला देते हैं और हवा में घुले रहते हैं, जिससे लोगों की सांसों में मुश्किल होती है।
दूसरे शहरों की तुलना में चंडीगढ़ का प्रदूषण:
दिल्ली के बाद, उत्तरी भारत में चंडीगढ़ वह शहर है जहां प्रदूषण की स्थिति सबसे ज्यादा बिगड़ रही है। चंडीगढ़ की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण कई स्थानों पर इसका प्रभाव साफ नजर आता है। जहां एक तरफ दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के कारण स्थिति गंभीर है, वहीं चंडीगढ़ में भी यह मुद्दा एक गंभीर चिंता का कारण बन चुका है।
अस्थमा के मरीजों के लिए बढ़ी समस्या:
प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे मरीजों पर पड़ रहा है। पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों को सबसे अधिक समस्या हो रही है। सर्दी का मौसम और प्रदूषण दोनों मिलकर अस्थमा अटैक का कारण बन सकते हैं। धुएं और प्रदूषण के कण अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक होते हैं और इससे उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है।
प्रदूषण के स्तर के विभिन्न श्रेणियाँ:
प्रदूषण के स्तर को समझने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का उपयोग किया जाता है। यहां हम AQI के विभिन्न स्तरों की श्रेणियाँ समझते हैं:
- 0-50 (साफ हवा): इस श्रेणी में हवा पूरी तरह से साफ होती है, और सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती।
- 51-100 (संतोषजनक): इस श्रेणी में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक होती है, और आमतौर पर कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होती।
- 101-200 (मध्यम): इस श्रेणी में हवा की गुणवत्ता मध्यम होती है, और खासतौर पर श्वसन रोगियों को इससे परेशानी हो सकती है।
- 201-300 (खराब): इस श्रेणी में हवा की गुणवत्ता खराब होती है, और लोग अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
- 301-400 (बहुत खराब): इस श्रेणी में प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा बढ़ चुका होता है, और इससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
- 401-500 (गंभीर): इस श्रेणी में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब होती है, और इसे खतरनाक माना जाता है।
चंडीगढ़ में बढ़ते प्रदूषण ने एक बार फिर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जन्म दिया है। प्रशासन को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदूषण से बचाव के उपायों को लागू करना और सर्दी के मौसम में इसे नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। साथ ही, बारिश का इंतजार करना भी एक उपाय हो सकता है, जो प्रदूषण को कम करने में मदद कर सके। लेकिन अब तक प्रदूषण के स्तर में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है, जिससे लोगों को चिंता बनी हुई है।